सरकार अब इस कवायद में जुट गई है कि दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई धक्का न पहुंचे। वहीं देश के भीतर गृह मंत्री अमित शाह पर विपक्ष ने हमला बोल दिया है। केंद्रीय सचिवालय में अधिकारियों के बीच में जहां दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल अनिल बैजल के शांति से बैठे रहने पर चर्चा हो रही है, वहीं एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का कहना है कि आखिर बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन?
सूत्र के अनुसार भाजपा नेता के बयान के बाद हिंसा भड़की, बड़ा सवाल यह नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस, उपराज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्रालय क्या कर रहा था? समझा जा रहा है कि सब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की कड़क छवि के कारण के विवशता की स्थिति में रहे। जबकि गृह मंत्री अमित शाह रविवार को अहमदाबाद में मोटेरा स्टेडियम में ट्रंप के स्वागत समारोह की तैयारियों का जायजा लेने गए हुए थे।
कितनी है चिंता की बात?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके दिल्ली में हिंसा पर उच्चस्तरीय बैठक करने की जानकारी दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली में हिंसा के लिए जिम्मेदार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को मानते हुए गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सेना तैनाती की मांग की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह दिल्ली में 1984 के दंगों की पुनरावृत्ति होते हुए नहीं देख सकता। वहीं दिल्ली में शांति बहाली का जिम्मा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने संभाल लिया है। यह स्थिति दिल्ली में हिंसा से पैदा हुई खतरनाक स्थिति को बयां कर रही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि वह दिल्ली में 1984 के दंगों की पुनरावृत्ति होते हुए नहीं देख सकता। वहीं दिल्ली में शांति बहाली का जिम्मा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने संभाल लिया है। यह स्थिति दिल्ली में हिंसा से पैदा हुई खतरनाक स्थिति को बयां कर रही हैं।
आखिर क्यों बंधे पुलिस के हाथ?
दिल्ली पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं, लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि डीसीपी के बगल में खड़े होकर भड़काऊ बयान देने वाले भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ भी कोई कदम नहीं उठाया। बताते हैं इसकी वजह केंद्रीय मंत्री अमित शाह मिश्रा की निकटता से जोड़कर देखी जा रही है। केंद्रीय सचिवालय में कई अफसरों का मानना है कि पुलिस खुद को कार्रवाई करने में समर्थ नहीं पा रही थी।
दिल्ली पुलिस के अफसर इस विषय में कुछ नहीं बोल रहे हैं। वहीं दिल्ली सरकार मंगलवार से लगातार दिल्ली में चिंताजनक सुरक्षा की स्थिति का रोना रो रही है। जबकि सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप का कार्यक्रम अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में था, लिहाजा गृहमंत्री करीब चार बजे तक अहमदाबाद में ही रहे। देर शाम दिल्ली पहुंचे।
उनके दिल्ली आने से पहले दिल्ली में हिंसा की स्थिति से दिल्ली पुलिस अपने तरीके से निबट रही थी। इसकी निगरानी उपराज्यपाल अनिल बैजल का सचिवालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय का कंट्रोल रूम कर रहा था। बताते हैं जब तक केंद्रीय गृहमोर्चा संभालते तब तक देर हो चुकी थी।
उनके दिल्ली आने से पहले दिल्ली में हिंसा की स्थिति से दिल्ली पुलिस अपने तरीके से निबट रही थी। इसकी निगरानी उपराज्यपाल अनिल बैजल का सचिवालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय का कंट्रोल रूम कर रहा था। बताते हैं जब तक केंद्रीय गृहमोर्चा संभालते तब तक देर हो चुकी थी।
देश की छवि की चिंता
विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी दिल्ली में हुई हिंसा से हैरान हैं। उन्हें विदेशी मीडिया में दिल्ली की हिंसा की कवरेज सता रही है। बताते हैं कि इससे भारत और खासकर प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर असर न पड़े इसकी फिक्र है। अंतरराष्ट्रीय मंच स्तर पर पाकिस्तान बार-बार ये प्रचार करने की कोशिश कर रहा है कि भारत में अब मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिकी दूतावास की तरफ से आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान इससे जुड़ा सवाल पूछना ही अपने आप में पर्याप्त है। बताते हैं इस तरह की स्थिति को विदेशी मीडिया जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने, तीन तलाक,सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसी कड़ी से जोड़ रहा है।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिकी दूतावास की तरफ से आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान इससे जुड़ा सवाल पूछना ही अपने आप में पर्याप्त है। बताते हैं इस तरह की स्थिति को विदेशी मीडिया जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने, तीन तलाक,सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसी कड़ी से जोड़ रहा है।